Skip to main content

परिंदे अब भी पर तौले हुए हैं


Virendra Sharma shared a memory.
Just now
यहीं मौजूद हैं वे लोग आपके आसपास ही बैठे हैं इस सदन में जिनके कुनबे ने इस देश का विभाजन करवाया था। आरएसएस जिसे ये सभी माननीय और माननीया पानी पी पी कर कोसते हैं , विभाजन के हक़ में नहीं था। ये ही वे लोग हैं जिन्होनें ने १९७५ में देश पर दुर्दांत आपातकाल थोपा था। अ -सहिष्णुता क्या होती है तब देश ने पहली बार जाना था। यही वे लोग हैं जिन्होनें १९८४ में सिखों का नरसंहार करवाया था -जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती कांपती ही है। बाद नरसंहार के बोलने वाले यही लोग थे।
यहीं मौजूद हैं वे लोग आपके आसपास ही बैठे हैं इस सदन में जिनके कुनबे ने इस देश का विभाजन करवाया था। आरएसएस जिसे ये सभी माननीय और माननीया पानी पी पी कर कोसते हैं , विभाजन के हक़ में नहीं था। ये ही वे लोग हैं जिन्होनें ने १९७५ में देश पर दुर्दांत आपातकाल थोपा था। अ -सहिष्णुता क्या होती है तब देश ने पहली बार जाना था। यही वे लोग हैं जिन्होनें १९८४ में सिखों का नरसंहार करवाया था -जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती कांपती ही है। बाद नरसंहार के बोलने वाले यही लोग थे।
आज ये देश के सामने कृत्रिम अ -सहिष्णुता का हौवा खड़ा करके देश के परम्परागत सौहार्द्र को आग लगाना चाहते हैं।
ये ही स्तर था ऐसे ही वेदना भरे स्वर थे आदरणीया गृहमंत्री के जिन्हें सदन ने पूरी गंभीरता से सुना।
सावधान
(१ )मार्क्सवादी बौद्धिक फासिस्टों से
( २)विघटन वादी कांग्रेस से जो हमेशा देश को तोड़ने की चाल चलती है।
( ३) जातिपरस्त ,मज़हब परास्त गिरोह से जो लबारी लालू लालों के हांकने से ताकत पा रहा है। ऊपर लिखित दोनों ताकतें जिसका पल्लवन कर रहीं हैं ,इन्हें पाकिस्तान का भी आशीर्वाद प्राप्त है जहां जाकर ये अपना रोना रोते हैं। मोदी को हटाओ ,हमें वापस  लाओ तो बात बने। संवाद की टूटी हुई कड़ियाँ आपके साथ जुड़ें।
(यही है 'इनके मन की बात ')
माननीय राष्ट्रपति जो ने आज पूरे देश को चेताया है। वे मोदी के राष्ट्रपति नहीं है। उन्होंने अमळ होने की बात की है मन का मल निकाल कर स्वच्छ भारत बनाने की बात की है। इस गंभीर वक्तव्य को भी एक चेपी की तरह ये ताकतें मोदी के माथे पे चस्पां करना चाहतीं हैं। मोदी तो देश के हालात उन्हें रिपोर्ट करते हैं। उनसे मशविरा करते हैं। वे तो मनमोहन सिंह जी की भी अनदेखी नहीं करते। उनके अनुभवों से देश को आगे ले जाना चाहते हैं।

दिसंबर २०१८ 
दोस्तों !आज भी ये देशद्रोही परिंदे , राजनीति के ये बाज़ हवा में सनसनी  घोले हुए हैं। कल ही कमल को पानी पी पीकर कोसने वाला 'कमल घात छिंदवाड़ा  व ' मध्य प्रदेश में कह रहा था :एक बार आप हमें  मध्यप्रदेश में  जीत दिलवा दो, २०१९ में हमारी सरकार बनवा दो फिर आरआरएस को तो हम देख लेंगे,लेकिन ये मुमकिन तभी होगा जब मुसलमानों के ९० फीसद वोट हमें  पड़ें । 
वो कहते हैं न :"जब ....लगी फटने तो नियाज़ लगी  बंटने ,'कामोदरी सीता राम  -ये -चुरी 'जो धर्म को अफीम बतलाते आये थे वही लेफ्टिए रक्तरँगी अब सनातन धर्म के ग्रंथों से दुर्योधन और दुःशाशन का उद्धरण देने लगे हैं। एक दिन राम को नकारने वाले ,राम के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगाने वाले राम का नाम भी लेंगे। 
ये तो इब्तिदा है २०१९ आने दो तब देखना इनके रंग बदल। सनातनी नामों को ओढ़े ये लोग अभी भी अपने को सेकुलर बतलाते हैं। अपने दत्तात्रेय गोत्र की दुहाई देने वाले घियासुद्दीन गाज़ी के वंशज अब अपने को हिन्दू घोषित करने पर आमादा हैं। वो नेहरु कहा करते थे -मैं इत्तेफाक से हिन्दू हूँ मेरा मन तो पूरा का पूरा मुस्लिम है (भाई साहब इनका तो मज़हब भी मुस्लिम था ),उस बेचारे पारसी को मृत्यु के बाद अलाहाबाद में सुपुर्दे ख़ाक कर दिया जिनकी आज भी चंद्रशेखर आज़ाद पार्क के सामने कब्र मौजूद है इलाहाबाद में।जबकि पारसियों में शव को पक्षियों को परोसा जाता है।पारसियों का विश्वास रहा है :-
"नरु मरे किछु काम न आवे ,पशु मरे दस काज संवारे।"
 जी हाँ हम फ़िरोज़ गांडी साहब की बात कर रहें हैं जो इंदिरा के खाविंद थे ,कमला नेहरू के चहेते जिन्होंने जब कमला जी तपेदिक से ग्रस्त थीं और नेहरू एक साध्वी के साथ काशी में इश्क फ़रमा रहे थे और भी कई शहज़ादियों के साथ इनकी रंगीनियां शिखर पर  थीं  तब इन्हीं फ़िरोज़ खान साहब ने कमला जी की बहुत सेवा की थी। उनका दिल जीत लिया था अपनी सेवा से ,जिस्म भी । 
आज ज़मानत पे छूटे हुए लोग बे -दाग बे -परवाह बे -ताज के बादशाह को चोर और ये लेफ्टिए पाकिट मार बतला रहें हैं। 
दिल्ली  में ये राजनीति के धंधे -बाज़ गरीब किसानों के मंच को हथिया कर अपने अपने वोटों को चमका रहे थे। बांछे खिल रहीं थी सीता- राम ये -चारि ,राहुल दत्तात्रेय ,और शरद यादव की। पूछा जा सकता है नेहरुपंथी कांग्रेस ने ५६ वर्ष के शासन में किसानों के लिए क्या किया था। आज भी उनके पास कौन सा कार्य क्रम है जिससे वे उनके कर्ज़े माफ़ कर देंगे।पानी उतर चुका है इनकी आँख का ,वो शहज़ादा सलीम तो इत्ती भीड़ देखकर ख़ुशी से पागल हुआ जा  रहा था उसकी ख़ुशी छिपाए नहीं छिप रही थी। बिना मज़मा लगाए रोड शो किये ऐसी अभूतपूर्व भीड़ और दत्तात्रेय ,शैटरम येचुरी (जी हाँ ये इसी से सीता -राम बने हैं यही इनका असली नाम है ) की झोली में आ पड़ी थी।  
(ज़ारी )
परिंदे अब भी पर तौले हुए हैं ,
हवा में सनसनी घोले हुए हैं। 



Comments

Popular posts from this blog

SAPODILLA Facts and Health Benefits (HINDI )

Sapodilla त्वरित तथ्य नाम: Sapodilla वैज्ञानिक नाम: चीकू मूल दक्षिणी मैक्सिको, मध्य अमेरिका और कैरेबियन। इसके अलावा थाईलैंड, भारत, कंबोडिया, मलेशिया, बांग्लादेश और इंडोनेशिया में खेती की। रंग की हल्के पीले - दानेदार बनावट के साथ भूरे रंग आकृतियाँ अंडाकार या दीर्घवृत्ताभ, व्यास: 2-4 इंच (5-10 सेमी) मांस रंग भूरा स्वाद मिठाई कैलोरी 200 Kcal./cup मेजर पोषक तत्वों विटामिन सी (39.33%) कार्बोहाइड्रेट (37.00%) आहार फाइबर (33.68%) आयरन (24.13%) कॉपर (23.00%) स्वास्थ्य सुविधाएं तनाव से छुटकारा दिलाता है, ठंड से बचाता है, एनीमिया से बचाता है, गठिया को कम, भर देता है घाव Sapodilla बारे में तथ्यों दक्षिणी मैक्सिको, मध्य अमेरिका और कैरेबियन के मूल निवासी, Sapodilla अब थाईलैंड, मलेशिया, कंबोडिया, भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और मेक्सिको में खेती की जाती है। यह फिलीपींस स्पेनिश उपनिवेशण के दौरान पेश किया गया था। ब्राउन शुगर, सर्जनात्मक, रसेल, और टिकल: वहाँ Sapodilla के चार किस्में हैं। ब्राजील: Sapodilla भी विभिन्न स्थानीय भाषा / आम नाम से जाना जाता है Sapoti; जर्मन: Brei...

"Merry Christmas Coronary" and "Happy New Year Heart Attack."(HINDI )

उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र से संयुक्त राज्य अमेरिका में दाखिल होने वाली प्रशीतित  पवनें हाड़ और चमड़ी गलाने वाली त्वचाक्षत करने वाली ठंड ले आईं हैं। इस बरस नया साल चालीस फर्नेहाइट ज्यादा ठंडा रहेगा। और इसी के साथ फ्रॉस्टबाइट (त्वचाक्षत )शीत  से चमड़ी का गलना, पैरों की तथा हाथों की उँगलियों अंगूठों की खासकर मयशेष अंगों की रक्तवाहिकाओं का सिकुड़ना एक समस्या पैदा करेगा। हालांकि यह हमारे शरीर सुरक्षा तंत्र का अपना इंतज़ाम है वह परिधीय अंगों की रक्त वाहिकाओं को आकुंचित कर देता है सिकोड़ देता है ताकि ताप ऊर्जा की शरीर से निकासी संरक्षित रहे।  भले यह शरीर के प्रमुख अंगों यथा दिल फेफड़ों आदि को बचाने की हमारे शरीर की  कुदरती रणनीति है लेकिन शरीर के इन परिधीय अंगों पेरिफेरल पार्ट्स की हिफाज़त भी कम ज़रूरी नहीं है। यहां अमरीका का नागरिक अपना कर्तव्य बोध,नागर -बोध , सामाजिक दायित्व कभी नहीं भूलता। घर के सामने के फुटपाथ से बर्फ उसे खुद किसी फावड़े से हटानी ही हटानी है। बेहतर हो एक नहीं दो दो  दस्ताने पहने जाएँ ताकि उंगलियों के बीच में हवा की परतें रहें इनके ऊपर से मिटन (m...