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हाँ हम घंटी बजाते हैं। अपने दिव्य स्वरूप ब्रह्मानन्द के सामने।वही तो हम हैं सच्चिदानंद। तुम तो लम्बू कब्रिस्तान में जाकर सेमेट्री में जाकर फूल चढ़ाते हो एक परीलोक बुनते हों। शरीर तो नष्ट हो गया पुनर्जन्म तुम मानते नहीं किसे चढ़ाते हो भैयाजी फूल। और अब्राहम की औलादों ये यहूदी ,इस्लाम के अनुयायी तुम्हारे हाफ ब्रदर्स हैं। किस बात पे झगड़ते हों यहां हिन्दुस्तान के आदिवासी क्षेत्र में क्या करते हो हमने तुम्हारी करतूतें नार्थ ईस्ट के चेरापूंजी ,शिलांग आदि में भी देखीं हैं बेटे जी। अमरीका में भी। तुम्हारे यहां अमरीका में तो नर्सिंग होम्स भी सुरक्षित नहीं हैं डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर्स के मरीज़ों को भी तुम्हारे भाई बंद अपनी हविश का शिकार बनाते हैं सबूत मांगोगे मिल जाएगा।


मंगलवार, 2 जनवरी 2018


हाँ हम घंटी बजाते हैं। अपने दिव्य स्वरूप ब्रह्मानन्द के सामने।वही तो हम हैं सच्चिदानंद। तुम तो लम्बू कब्रिस्तान में जाकर सेमेट्री में जाकर फूल चढ़ाते हो एक परीलोक बुनते हों। शरीर तो नष्ट हो गया पुनर्जन्म तुम मानते नहीं किसे चढ़ाते हो भैयाजी फूल। और अब्राहम की औलादों ये यहूदी ,इस्लाम के अनुयायी तुम्हारे हाफ ब्रदर्स हैं। किस बात पे झगड़ते हों यहां हिन्दुस्तान के आदिवासी क्षेत्र में क्या करते हो हमने तुम्हारी करतूतें नार्थ ईस्ट के चेरापूंजी ,शिलांग आदि में भी देखीं हैं बेटे जी। अमरीका में भी। तुम्हारे यहां अमरीका में तो नर्सिंग होम्स भी सुरक्षित नहीं हैं डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर्स के मरीज़ों को भी तुम्हारे भाई बंद अपनी हविश का शिकार बनाते हैं सबूत मांगोगे मिल जाएगा।


एक प्रतिक्रिया फेसबुक पोस्ट :


https://www.facebook.com/nirmala.neelam.5/videos/1277888945688163/




Nirmala Neelam is with Maya Yadav and 16 others.
10 hrs
मान्यवर लम्बू जी !हम भारत धर्मी समाज हैं सर्व -समावेशी ,सर्व -ग्राही समाज हैं हमारे कोई दुराग्रह नहीं हैं हमारे लिए सभी धर्मग्रन्थ मान्य हैं। हमारा सबसे बड़ा हासिल यह है हम यह जानते हैं हम यह शरीर नहीं हैं। समझा दें आपको जो दिखता है वह भ्रान्ति है केवल देखने वाला द्रष्टा ही सत्य है। हम अपना न हाथ हैं न पैर न आँख यह शरीर  तो विनष्ट प्राय: है.मल -मूत्र का भांडा है लंबूजी। यह तो एक दिन जाएगा ही जाएगा। यह हमारा निज स्वरूप नहीं हैं। जिसका जिस भी चीज़ का मैं या आप या कोई और भी त्याग नहीं कर सकते वही हम हैं ,हम अपनी आत्मा का त्याग नहीं कर सकते। उसी को जब शरीर प्राप्त होता है हम जीव कहलाते हैं तब। 

संविद पात्रा जी की आप क्या बात करते हैं और राष्ट्रीय सेवक संघ  (RSS ),एवं आदिवासी तो हमारी मूल संस्कृति के प्रहरी हैं। पर्यावरण के पहरुवे हैं। हम उन्हें ललचाते नहीं हैं। 
आप की अम्मा यहां इटली से आईं थीं आजकल गोवा में स्ट्रेस रिलीविंग हॉलिडे मना रहीं हैं उन्होंने ने उनके सुपुत्र ने इस देश को तोड़ने के अनेक प्रयास किये हैं ये देश तो नहीं टूटा ये माँ बेटा ज़रूर टूट गए। 

हाँ हम घंटी बजाते हैं। अपने दिव्य स्वरूप ब्रह्मानन्द के सामने।वही तो हम हैं सच्चिदानंद। अहं ब्रह्मास्मि मैं ही ब्रह्म हूँ ये सब कुछ ब्रह्म ही है उसी का स्वरूप है दूसरा कोई अन्य नहीं है। अज्ञान है वह हमारा। ये मन हमारा तिरलोकी है इसके बाहर कुछ भी नहीं है। जिसने ब्रह्म को जान लिया है वह  ब्राह्मण  है किसी जाति विशेष की माँ के गर्भ से पैदा व्यक्ति ब्राह्मण नहीं है। अज्ञान संसिक्त होने पर वही शूद्र है।  तुम तो लम्बू कब्रिस्तान में जाकर सेमेट्री में जाकर फूल चढ़ाते हो एक परीलोक बुनते हों। शरीर तो नष्ट हो गया पुनर्जन्म तुम मानते नहीं किसे चढ़ाते हो भैयाजी फूल।

यही तुम्हारा अज्ञान है और अज्ञानी को क्या कहते हैं -शूद्र कहते हैं राजा मेरे।  

और अब्राहम की औलादों ये यहूदी ,इस्लाम के अनुयायी तुम्हारे हाफ ब्रदर्स हैं। किस बात पे झगड़ते हों यहां हिन्दुस्तान के आदिवासी क्षेत्र में क्या करते हो हमने तुम्हारी करतूतें नार्थ ईस्ट के चेरापूंजी ,शिलांग आदि में  भी देखीं हैं बेटे जी। अमरीका में भी। तुम्हारे यहां अमरीका में तो नर्सिंग होम्स भी  सुरक्षित नहीं हैं डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर्स के मरीज़ों को भी तुम्हारे भाई बंद अपनी हविश का शिकार बनाते हैं सबूत मांगोगे मिल जाएगा। 

http://www.cnn.com/2017/12/28/health/retirement-home-neglect-florida/index.html

Retirement home shut down months after attack on 86-year-old


https://www.youtube.com/watch?v=djR3KMVsGWU

https://www.youtube.com/watch?v=ezHO_b_eFf8

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