बतला दें दोस्तों हमारे शास्त्रों में प्रामाणिक तौर पर इतना लिखा है बस वास्तु के विषय में शेष जो कुछ भी ऊलजुलूल बतलाया जा रहा है वह ठगी है धंधा है कुछ धंधाखोरों का :
गरीब हो या अमीर गृह प्रवेश करने पर एक दिनी वास्तुदेव की पूजा के तहत एक ६४ कोष्ठकों वाला वास्तुयंत्र बनाया जाता है। पश्चात वास्तु देव का मन्त्रों द्वारा आवाहन किया जाता है। वास्तु देव की पूजा की जाती है। और बस इतना काफी है।
वास्तु का महत्व है लेकिन हमारे सुख दुखों का संबंध अर्जित पाप -पुण्य कर्मों से है। जन्मके समय प्राप्त प्रारब्ध कर्म से है जो अनंतकोटी जन्मों में किये गए कर्मफलों का अल्पांश मात्र है।
नित्य ठाहकुरजी की पूजा आपके घर में हो सुख शान्ति के लिए यह सबसे ज़रूरी है सिर्फ और सिर्फ वास्तु को साधने से कुछ नहीं होगा।
देखें यह सेतु (लिंक ):
https://www.youtube.com/watch?v=Zm84JKTwdqc
Below is given something which is often sold in the market for a few neo-richs you can guestimate:
हवा के चलने को आज भी भारत में उसे उसी दिशा का नाम दे दिया जाता है जैसे- पूर्व से चलने वाली हवा को पुरवाई इसी प्रकार अन्य दिशाओं में चलने वाली हवाओं का नाम होता है। प्रत्येक मानव जब भी चलता है किसी न किसी दिशा में ही चलता है बिना दिशा वह कभी चल ही नहीं सकता या तो वह सही दिशा में जाएगा या गलत दिशा में, गलत दिशा में चलने वाले को दिशाहीन, पथ भ्रष्ट की संज्ञा दी जाती है। फिलहाल हम बात कर रहे हैं वास्तु की दिशा और उनके देवताओं की....
- उत्तर दिशा के देवता कुबेर हैं जिन्हें धन का स्वामी कहा जाता है और सोम को स्वास्थ्य का स्वामी कहा जाता है। जिससे आर्थिक मामले और वैवाहिक व यौन संबंध तथा स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

- उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) के देवता सूर्य हैं जिन्हें रोशनी और ऊर्जा तथा प्राण शक्ति का मालिक कहा जाता हैं। इससे जागरूकता और बुद्धि तथा ज्ञान मामले प्रभावित होते हैं।
सकारात्मकता चाहे तो वास्तु को इस तरह अपनाएं
जब भी घर सजाने की बात होती है तो हमें अलग-अलग तरह की वस्तुओं का ध्यान आता है पर आजकल इतना ही काफी नहीं है। आज की भाग-दौड़ भरी और तनावपूर्ण जिंदगी में लोग यही चाहते हैं कि घर में उन्हें वह सारा सुकून मिले जिसकी उन्हें आशा है। और यही वजह है कि लोग वास्तु का महत्व जानने लगे हैं। दरअसल वास्तु के अंतर्गत कुछ ऐसी बातों का समावेश है जिससे हमारी जिंदगी में सकारात्मकता उपजती है।>
तो आइए जानते हैं कुछ खास बातें-
आपके भवन के आगे थोड़ी-सी जगह अवश्य छूटी होनी चाहिए। जिसमें बीच में प्रवेश करने के रास्ते के दोनों ओर छोटे-छोटे फूलों की क्यारियांं होनी चाहिए। इस बगीचे के बीच में एक तुलसी का पौधा जरूर लगाना चाहिए। वास्तु के अनुसार यह बहुत ही शुभ होता है।>

घर के प्रवेशद्वार को लकड़ी से ही बनवाना चाहिए तथा यहांं पर एक पायदान जरूर रखें जो घर में किसी भी तरह की नकारात्मकता को रोकने का चेक पाइंट है। द्वार पर स्वास्तिक चिन्ह, लक्ष्मी गणेश के चिन्हों वाले स्टिकर या अपने धर्म के शुभ संकेतों को लगाएंं।

ड्राइंग रूम में फर्नीचर लकड़ी का ही होना अच्छा माना जाता है। यह भी ध्यान रहे कि फर्नीचरों के कोने तीखे तथा नुकीले न होकर के गोल या चिकने होने चाहिए। तीखे कोने नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माने जाते हैं। यहांं पर कुछ पौधों से सजावट करनी चाहिए। हिंसा की प्रतीक मूर्तियाँ या चित्र न लगाकर सौम्य सुंदर तस्वीरों या मूर्तियों से सजावट करें।

पूजा स्थल ऐसा बनाना चाहिए कि पूजा के लिए बैठने वाले का मुंंह पूर्व दिशा में हो। पूजाघर में हमेशा हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए। यहांं लाल रंग के बल्बों की सजावट न करें। पूजाघर में पूर्वजों की तस्वीरें न रखें।

बेडरूम का फर्नीचर भी जहांं तक संभव हो सके लकड़ी का ही हो। यहांं लोहे का उपयोग करना ठीक नहीं है। यहांं सफेद, क्रीम, आइवरी जैसे रंगों का दीवारों पर प्रयोग किया जाना चाहिए। यहांं पर प्रेम के प्रतीक चिन्हों का प्रयोग करना चाहिए जैसे लव बर्ड्स आदि। रंगीन फूलों की तस्वीरें भी लगा सकते हैं।

बेडरूम का फर्नीचर भी जहांं तक संभव हो सके लकड़ी का ही हो। यहांं लोहे का उपयोग करना ठीक नहीं है। यहांं सफेद, क्रीम, आइवरी जैसे रंगों का दीवारों पर प्रयोग किया जाना चाहिए। यहांं पर प्रेम के प्रतीक चिन्हों का प्रयोग करना चाहिए जैसे लव बर्ड्स आदि। रंगीन फूलों की तस्वीरें भी लगा सकते हैं।
बच्चों के कमरे का रंग नीला बैंगनी या हरा होना चाहिए। टेबल इस तरह से लगी होनी चाहिए कि पढ़ने वाले का मुंंह पूर्व या उत्तर में रहे तथा पीठ की ओर दीवार होनी चाहिए। इस कमरे में विद्या का वास होता है अतः बच्चों को जूते-चप्पल बाहर रखने की सलाह दें।
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