आजकल प्रतिपक्ष संसद को ठप्प करने के पाकिस्तान प्रेरित काम में लगा हुआ है। कहता है संसद की कार्रवाई को चलाये रखना सत्ता पक्ष का काम है। वह एक हाथ से ताली बजाये। जबकि प्रतिपक्ष का काम सत्ता पक्ष की कारगुज़ारी पर रचनातमक निगरानी रखते हुए संसद की कार्रवाई और व्यवस्था को बनाये रखने में सहयोग की ज़िम्मेवारी रहती है। लगता है जैसे संसद किसी और देश की हो। इस स्थिति से भारतधर्मी समाज का मन विक्षुब्ध है ,चंद जेहादी तत्व ही इस स्थिति से खुश हैं मानो ये सब उन्हीं की शह पर हो रहा हो। भारत धर्मी समाज के राष्ट्रीय विचारक डॉ. नंदलाल मेहता वागीश के मुखारविंद से कविता बनकर ये विचार प्रकट हुए हैं :
संसद ठप्प करने का काम -डॉ. वागीश मेहता ,राष्ट्रीय विचारक ,भारतधर्मी समाज
(१ )
संसद ठप्प करने का काम,
कैसा आसन कौन प्रधान ,
चार उचक्के चालीस चोर ,
ढ़प -ढ़प करते फटे हैं ढ़ोल।
किसी और की बात न सुनते ,
शोर -शोर बस केवल शोर।
(२ )
खड़खड़ करता दुःशासन है ,
बेबस द्रुपद -सुता संसद है।
एक इंच भी नहीं हटूंगा ,
दुर्योधन का अड़ियलपन है।
गांधारी मुस्काती मन -मन ,
धृतराष्ट्र भी खूब मगन हैं। |
(३ )
शोर शराबे की मस्ती है ,
तर्क नियम की क्या हस्ती है।
पंद्रह मिनिट मैं बोल पड़ा तो ,
संसद की तो क्या गिनती है।
मौन पितामह द्रोण मौन हैं ,
शकुनि ने फेंके हैं पासे ,
सबकी अटक गईं हैं साँसें।
(४ )
न्यायपीठ पर चोट करंते ,
लोकलाज और शील के हंते।
राष्ट्र समूचा स्तब्धमना है ,
एक आस -विश्वास घना है।
कभी सुदर्शन चक्र चलेगा ,
फिर शांति का कमल खिलेगा।
प्रस्तुति :वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा ),एचईएस -वन ,सेवानिवृत्त।
संसद ठप्प करने का काम -डॉ. वागीश मेहता ,राष्ट्रीय विचारक ,भारतधर्मी समाज
(१ )
संसद ठप्प करने का काम,
कैसा आसन कौन प्रधान ,
चार उचक्के चालीस चोर ,
ढ़प -ढ़प करते फटे हैं ढ़ोल।
किसी और की बात न सुनते ,
शोर -शोर बस केवल शोर।
(२ )
खड़खड़ करता दुःशासन है ,
बेबस द्रुपद -सुता संसद है।
एक इंच भी नहीं हटूंगा ,
दुर्योधन का अड़ियलपन है।
गांधारी मुस्काती मन -मन ,
धृतराष्ट्र भी खूब मगन हैं। |
(३ )
शोर शराबे की मस्ती है ,
तर्क नियम की क्या हस्ती है।
पंद्रह मिनिट मैं बोल पड़ा तो ,
संसद की तो क्या गिनती है।
मौन पितामह द्रोण मौन हैं ,
शकुनि ने फेंके हैं पासे ,
सबकी अटक गईं हैं साँसें।
(४ )
न्यायपीठ पर चोट करंते ,
लोकलाज और शील के हंते।
राष्ट्र समूचा स्तब्धमना है ,
एक आस -विश्वास घना है।
कभी सुदर्शन चक्र चलेगा ,
फिर शांति का कमल खिलेगा।
प्रस्तुति :वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा ),एचईएस -वन ,सेवानिवृत्त।
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