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ज्ञान ही जीवन को सबसे बड़ी उपलब्धि है। बंधन से मुक्ति की ओर यात्रा ही भारतीय संस्कृति है


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Virendra Sharma ज्ञान ही जीवन को सबसे बड़ी उपलब्धि है। बंधन से मुक्ति की ओर यात्रा ही भारतीय संस्कृति है।
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Virendra Sharma ज्ञान ही जीवन को सबसे बड़ी उपलब्धि है। बंधन से मुक्ति की ओर यात्रा ही भारतीय संस्कृति है। जिसके पास नारायण का स्मरण नहीं वही निंदनीय है।
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Virendra Sharma ज्ञान ही जीवन को सबसे बड़ी उपलब्धि है। बंधन से मुक्ति की ओर यात्रा ही भारतीय संस्कृति है। जिसके पास नारायण का स्मरण नहीं वही निंदनीय है।परमात्मा निरंतर अभिनंदनीय है। मनुष्य भी उसी का अंश है इसलिए उसे भी अभिनन्दन सदैव अच्छा लगता है। परन्तु परमात्मा अभिनन्दन से स्पंदन  हीन रहता है। आस्तिक निंदा करें तब भी स्पंदन हीन रहता है। हम प्रतिक्रिया करते हैं आनंदित होते हैं या दुखी। 
वैशाखनंदन अपनी अनुपलब्धि पर भी प्रसन्न होते हैं। 
जो परमात्मा की ओर ले जाए उसे मित्र बनाइये। जो परमात्मा की ओर ले जाए वह वसंत की बयार है जो उससे परे ले जाए वह सब जल जाए। 

कर्म की शुद्धि परमात्मा के स्मरण से ही होती है। भाव शुद्ध हो तो कर्म भी पूजा बन जाता है। अंदर का कपड़ा भी स्मरण से धुल जाएगा। 

को हम ?कोहं ?चिंतन करो लगातार कोहम ?दासो हम। मैं परमात्मा का दास हूँ। 

"मैं हूँ परम पुरख को दासा ,पेखन आया जगत तमाशा। "
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