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Nehru-Gandhi ख़ानदान के अवैध प्रेम संम्बंधो की अनसुनी और अनदेखी दास्तान| Nehru-Gandhi Love Affairs.

https://www.youtube.com/watch?v=rFT7cd4SYuc
जवाहर लाल नेहरू का जन्म, इलाहाबाद के जिस मोहल्ले में हुआ, वो मोहल्ला वेश्याओं का था और आज भी है, जिससे तंग आकर मोती लाल नेहरू ने मोहल्ला छोड़ दिया। बाद में मोती लाल नेहरू ने ‘इशरत मंजिल’ नाम का भवन खरीदा, जिसे आज आनंद भवन के नाम से जाना जाता है। शिक्षा के बाद जवाहर लाल नेहरू आज़ादी के आंदोलन से जुड़े, लेकिन आज़ादी के आंदोलन में जवाहर लाल नेहरू का बहुत बड़ा और प्रभावी योगदान नहीं था, लेकिन महात्मा गाँधी और अंग्रेजों से नजदीकी संबंध होने के कारण जवाहर लाल नेहरू, भारतीय राजनीति के सिरमौर बन गये। जवाहर लाल नेहरू कई महिलाओं के प्रति आकर्षित रहे हैं, जिनमें माउंटबेटन एडविना के साथ उनके संबंध चर्चा में रहते हैं। हालांकि एडविना के वंशजों ने प्रेम संबंध को आध्यात्मिक मानते हुए शारीरिक संबंधों को नकार दिया है, लेकिन यह सच नहीं है। तथ्य यही कहते हैं, कि उनके बीच शारीरिक संबंध भी थे। जवाहर लाल नेहरू का स्त्रियों के प्रति आकर्षण ही, उनकी पत्नी कमला नेहरू से दूरी का कारण बना और अंततः साथ रहते हुए भी वे एक-दूसरे के लिए अंजान से हो गये। बाद में इंदिरा गाँधी भी आपत्ति दर्ज कराने लगीं। वे स्वयं इस मुददे पर बात नहीं कर सकती थीं, इसलिए वे अक्सर अपने पिता जवाहर लाल नेहरु को समझाने के लिए मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का सहारा लेती थीं। अब यह अलग बात है, की कभी अपने पिता नेहरू के अवैध संबंधो का विरोध करने वाली, इंदिरा गाँधी का खुद का नाम कितने पुरुषों के साथ अवैध संम्बंध बनाने के लिए बदनाम हुआ. एक जगह ऐसे भी प्रमाण मिले हैं, कि जवाहर लाल नेहरू के तेजी नाम की लड़की से संबंध थे। तेजी नाम की लड़की, इंदिरा की पक्की सहेली थी, जो आनंद भवन में इंदिरा के साथ खेलने आती थी, इसके प्रति जवाहर लाल नेहरू आकर्षित हो गये। कई वर्ष चले संबंधों के बाद, जवाहर लाल नेहरू ने अपने एक शिष्य हरिवंश राय बच्चन से तेजी का विवाह करा दिया और विवाह के बाद हरिवंश राय बच्चन को शोध के लिए विदेश भेज दिया, जो दस साल के बाद लौटे. इस बीच तेजी जवाहर लाल नेहरू के साथ ही प्रधानमंत्री आवास में रहती थीं। और, इसीलिए, नेहरू और तेज़ी के बीच प्रेम संबंध बिना किसी रोकटोक और बिना हरिवंश राय बच्चन के जानकारी के चलते रहे. गौरतलब, हरिवंश राय बच्चन और तेज़ी बच्चन को दुनिया अमिताभ बच्चन के माँ बाप के नाम से जानती है. हरिवंश राय की गैर मौजूदगी में, तेज़ी की नेहरू के साथ नजदीकियां और ज्यादा बढ़ गयी और दोनों के बीच में शारीरिक संम्बंध भी बने, जिसकी वजह से अमिताभ बच्चन पैदा हुए. तो, यह तो एक थ्योरी है, जो यह साबित करती है की, अमिताभ बच्चन असल में जवाहरलाल नेहरू की नाजायज संतान है. जवाहर लाल नेहरू के, सरोजिनी नायडू की पुत्री पद्मजा नायडू से भी संबंध थे और वे उनकी फोटो अपने कमरे में लगा कर रखते थे, जिसे इंदिरा गाँधी अक्सर हटा दिया करती थीं। जवाहर लाल नेहरु का संबंध, शारदा नाम की बनारस की एक सन्यासिन से भी था, जिसके संबंध में प्रमाण मिलता है कि वह अत्यधिक आकर्षक होने के साथ प्राचीन भारतीय शास्त्रों और पुराणों की ज्ञाता थी, साथ ही उसने गर्भवती होने पर विवाह का दबाव बनाया, तो जवाहर लाल नेहरू ने उससे किनारा कर लिया। ऐसे भी प्रमाण मिलते हैं कि, उस सन्यासिन के एक बेटा पैदा हुआ था, जिसे एक ईसाई मिशनरी के बोर्डिंग स्कूल में छुड़वा दिया गया। इस बच्चे का जन्म 30 मई 1949 को बताया गया है, लेकिन स्कूल में जाने के बाद इस बच्चे के प्रमाण नहीं मिलते। जवाहरलाल नेहरू की एक बहन विजय लक्ष्मी के संबंध में प्रमाण मिलते हैं कि, अपने पिता के कर्मचारी सयुद हुसैन से उनके संबंध थे और वे उसके साथ भाग गईं, तो मोती लाल नेहरू किसी तरह उन्हें वापस लाये और फिर एक रंजीत पंडित नाम के व्यक्ति से शादी करा दी। यानि की, नेहरू ही नहीं बल्कि, उनकी बहन भी नेहरू के नक़्शे-कदम पर चल रही थी. हालाँकि, उनको समय रहते, उनके पिता ने संभाल लिया और शादी करवा दी नहीं तो, शायद विजय लक्ष्मी भी अपने भाई की ही तरह, अवैध प्रेम संम्बंधो के झंडे गाड़ती. तो, चलिए, अब बात करते है, नेहरू की बेटी, इंदिरा नेहरू की जो की बाद में इंदिरा गाँधी के नाम से जानी गयी. जवाहर लाल नेहरू की बेटी का नाम इंदिरा नेहरू था, लेकिन शांति निकेतन विश्व विद्यालय में पढ़ने गईं, तो रविन्द्र नाथ टैगोर ने इंदिरा प्रियदर्शिनी नाम रख दिया। इंदिरा प्रियदर्शिनी को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय भी भेजा गया, जहां वे सफल नहीं हो पाईं। कहीं-कहीं ऐसा भी प्रमाण मिलता है कि, शांति निकेतन के अनुरूप व्यवहार न होने के कारण उन्हें वहां से भी निकाला गया था, जिसके बाद उन्हें ऑक्सफोर्ड भेजा गया। माँ कमला नेहरू तपेदिक से ग्रस्त थीं। पिता जवाहर लाल नेहरू राजनीति से बचा समय, महिलाओं के बीच गुजारते और बुआओं से भी अच्छे संबंध न होने के कारण इंदिरा प्रियदर्शिनी का पारिवारिक वातावरण उनके अनुकूल बिल्कुल भी नहीं था। इस बीच कमला नेहरू की हालत और गंभीर हुई, तो फ़िरोज़ खान नाम का युवक उनके संपर्क में आ गया, जिसने कमला नेहरू की सेवा करते हुए इंदिरा प्रियदर्शिनी को भी संभाला। मोती लाल नेहरु की हवेली में काम करने वाले एक पारसी नवाब खान के बेटे फिरोज खान की सेवा और सहानुभूति इंदिरा प्रियदर्शिनी को भा गई और उन्होंने समर्पण कर दिया। दोनों ने लंदन स्थित एक मस्जिद में निकाह कर लिया और धर्म बदलने पर इंदिरा प्रियदर्शिनी को नाम दिया गया मैमुना बेगम।

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नेहरू-गाँधी ख़ानदान के अवैध प्रेम संम्बंधो की अनसुनी और अनदेखी दास्तान. जवा...

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