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Showing posts from May, 2018

गठबंधन बनाम ठगबंधन

गठबंधन बनाम ठगबंधन  पूरा अस्तबल बेचकर विषकन्या कांग्रेस घोड़े बेचके नहीं सो सकती।बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी ?भूकंप आते ही घोड़े अस्तबल से भाग जाएंगे। एक पखवाड़े के भीतर बहुमत सिद्ध करना है। कल शपथ ग्रहण समारोह के बाद मंत्रिपद का बंटवारा कब तक रोकेंगे। चार उचक्के चालीस चोर सांसदों वाली विषकन्या कोंग्रेस कब चैन की नींद लेगी इसका वर्तमान ठगबंधन में कोई निश्चय नहीं।   आखिर चुनाव पूर्व गठबंधन का तो वर्तमान राज -नीतिक धंधे में प्रावधान है लेकिन ठगबंधन का कोई ज़िक्र नहीं है। यह ठगबंधन पूर्व में नेहरुपंथी अब विषकन्या कही जाने वाली कांग्रेस की मौलिक खोज है।  करतम सो भोगतम। जो बोवोगे वही काटोगे। बोया पेड़ बबूल का तो छाँव कहाँ से पाय ?  

संसद ठप्प करने का काम -डॉ। वागीश मेहता ,राष्ट्रीय विचारक ,भारतधर्मी समाज

आजकल प्रतिपक्ष संसद को ठप्प करने के पाकिस्तान प्रेरित काम में लगा हुआ है। कहता है संसद की कार्रवाई को चलाये रखना सत्ता पक्ष का काम है। वह एक हाथ से ताली बजाये। जबकि प्रतिपक्ष का काम सत्ता पक्ष की कारगुज़ारी पर रचनातमक निगरानी रखते हुए संसद की कार्रवाई और व्यवस्था को बनाये रखने में सहयोग की ज़िम्मेवारी रहती है। लगता है जैसे संसद किसी और देश की हो। इस स्थिति से भारतधर्मी समाज का मन विक्षुब्ध है ,चंद जेहादी तत्व ही इस स्थिति से खुश हैं मानो ये सब उन्हीं की शह पर हो रहा हो। भारत धर्मी समाज के राष्ट्रीय विचारक  डॉ. नंदलाल मेहता वागीश के मुखारविंद से कविता बनकर ये विचार प्रकट हुए हैं : संसद ठप्प करने का काम -डॉ. वागीश मेहता ,राष्ट्रीय विचारक ,भारतधर्मी समाज                                (१ ) संसद ठप्प करने का काम,  कैसा आसन कौन प्रधान , चार उचक्के चालीस चोर , ढ़प -ढ़प करते फटे हैं ढ़ोल।  किसी और की बात न सुनते , शोर -शोर बस केवल शोर।                            (२ ) खड़खड़ करता दुःशासन है , बेबस द्रुपद -सुता संसद है।  एक इंच भी नहीं हटूंगा , दुर्योधन का अड़ियलपन है। 

अनशन की परम्परा को लज्जित ,कलंकित करता अनशन

अ नशन की परम्परा को लज्जित ,कलंकित करता अनशन अनशन की परम्परा को लज्जित ,कलंकित करता अनशन "राहुल गांधी लाओ देश बचाओ।" पांच घंटे का अनशन करो और फिर पांच घंटे का अलार्म बजते ही छोले भठूरे अन्य खाद्यों पर टूट पड़ो।अनशन से पहले भी कुछ टूंग लो। गांधी कुमार उर्फ़ राहुल विन्ची को ये मुगालता है ,राष्ट्र पिता मोहनदास कर्म चंदगाँधी को इन्हीं कथित राहुल गांधी की वजह से जाना जाता है। और पांच घंटे का (अन्+अशन =बिना अन्न ग्रहण )नाटक करके उनके-कच्छे का लालरंग देखके उन को हनुमान भक्त घोषित करने वाले चाटुकारों से अपनी जय बुलवाकर वे वर्तमान राजनीतिक प्रबंध का स्थान ले लेंगे। जनेऊ दिखलाकर खुद को सुर्जेवालों से सनातन धर्मी घोषित करवा लो। कोई नादानी सी नादानी है। किसी सिब्बल ने इन्हें अनशन का अर्थ नहीं समझाया। क्रान्तिवीरों के १३० दिनी अनशन के बारे में नहीं बतलाया। अनशन एक पावित्र्य लिए रहा है। वर्तमान पीढ़ी जान ले नेहरू के वंशज वर्णसंकर ज़रूर हैं जिन्होंनें संविधान में होने वाले परिवर्तन की तरह गोत्र बार बार -बार बदला है। गूगल बाबा से पूछ लो पारसियों में कोई गांधी गोत्